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Thursday, March 11, 2010

उद्दिग्नता के प्रकार

यदि आप उद्दिग्नता से ग्रस्त हैं तो आपने इसके बारे में काफी कुछ पढ़ा होगा। उद्दिग्नता के प्रकारों के बारे में भी पढ़ा होगा। आपके बीमारी के डाइग्नोसिस से आपका जीवन सुधर नहीं जायेगा। फिर उद्दिग्नता से पीड़ित व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की उद्दिग्नता के खांचे में बैठाया जा सके यह आवश्यक नहीं है। सामान्यतया उद्दिग्नता से पीड़ित व्यक्ति किसी डाइग्नोसिस विशेष के खांचे में बैठने की बजाय विभिन्न प्रकार की उद्दिग्नताओं के कहीं बीच में रहता है।
यदि एक बार कोई लेबल लग जाता है तो उसको हटाना मुश्किल रहता है। इसलिए इसका न लगाना ही उचित है। फिर भी हम केवल विवरण की सुविधा के लिए विभिन्न प्रकार के anxiety disorders के बारे में जानना चाहते हैं।

पेनिक अटेक (panic attack)


पनिक अटेक अचानक से डर की अनुभूति होना है। इसके साथ तीव्र शारीरिक संवेदनाये होती हैं जैसे कि उन स्थानों से भागने कीइच्छा होना जहाँ पर ये संवेदनाये होती हैं। साथ ही एक ऐसी मानसिक संभावना की कुछ गंभीर रूप से गलत होने वाला है। दिल की धड़कन का तेज होना, छाती में अकदन या दर्द, साँस फूलना, कंपकपी, पसीना, चक्कर, मितली या उलटी, हाथ पैर का सुन्न या ठंडा पद जाना, या फिर हाथ पैरों या चेहरे पर गर्मी महसूस करना, ये कुछ अनुभव हैं जो पेनिक अटेक के वक्त हो सकते हैं। पागल होने का डर या कुछ असंयमित बर्ताव कर देने का डर भी हो सकता है।


राजेश की कहानी
"जब मै एक नौकरी के इंटरव्यू के लिए जा रहा था तब मुझे ऐसा लगा की मेरा सर घूम रहा है, दिल इतनी जोर से धड़क रहा था मानो छाती फटी पड़ती हो। मेरा सर ऐसा लग रहा था की एक गुब्बारा है और किसी भी क्षण फट सकता है। मेरे हाथ कांप रहे थे और हथेलियाँ गीली थीं। मेरी उँगलियाँ सुन्न लग रही थी। मेरी छाती में इतने तेज़ दर्द हो रहा था मानो मुझे दिल का दौरा पड़ गया हो। समय के साथ चक्कर बढ़ते गए। मैंने अपनी साँस थामने की बहुत कोशिश की पर मै उसमे असफल रहा। मैंने इंटरव्यू देने की कोशिश की पर मुझे कुछ समझ में नहीं आया। "

पेनिक अटेक पेनिक बीमारी में कैसे बदलता है:



बिना किसी कारन के यदि बार बार पेनिक अटेक आते हैं तो ये हो सकता है की आप पेनिक बीमारी से ग्रस्त हों। परन्तु पेनिक अटेक आना यह कोई बीमारी नहीं है। बहुत से लोगों में साल में एकाध बार पेनिक अटेक आते हैं। पेनिक डिसोर्डर का तात्पर्य है कि यदि व्यक्ति अगले अटेक के आने की संभावना से ऐसी व्यक्तियों, एवं स्थानों को टाला जा सके जहाँ पेनिक अटेक आने की सम्भावना रहती है।

सुनीता की कहानी:

मुझे हमेशा घर से बाहर निकलने में डर लगता हैमै इतना डरी हुई रहती हूँ की हमेशा यह ध्यान रखती हूँ की कोई भागने का रास्ता है या नहींमंदिर, बाज़ार या अन्य कोई ज़गह मै अकेले जाना पसंद करती हूँ, जिससे की यदि कोई पेनिक अटेक आये तो मेरे साथ मै जो है उसे मालूम पड़े और मै वहां से भाग कर घर सकूँया फिर मै किसी ऐसे सुरक्षित व्यक्ति के साथ ही बाहर निकलना पसंद करती हूँबाहर जाने पर मेरा पेट गड़बड़ हो जाता हैबाहर जाते समय मै अपने पेट के गड़बड़ होने की वजह से सिर्फ ऐसी जगह जाती हूँ जहाँ पर toilet हो








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