चिंता के इन सब प्रकारों के आलावा भी कुछ और प्रकार है, जैसे कि obsessive compulsive neurosis और पोस्ट ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिसोर्डर। ये भी एन्ग्जाईटी के ही प्रकार हैं।
कुछ विशेष प्रकार कि समस्याएं उद्दिग्नता के साथ साथ बनी रह सकती हैं, जैसे कि अवसाद या शराबखोरी। कभी कभी कुछ शारिरिक बीमारियाँ भी होती हैं जिसमे ऐसे लक्षण मिल सकते हैं। इन बिमारियों का भी सही निदान ज़रूरी है। इन बीमारियों में थायरोइड ग्रंथि के विकार, अस्थमा, ह्रदय रोग इत्यादि शामिल हैं।
अवसाद (depression)
अवसाद एक ऐसी मानसिक अवस्था है जब व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। उसे एक प्रकार का खालीपन रहता है। वह अपने आप के प्रति निराश रहता है। उसे अपने भविष्य से भी कोई आशा नहीं रहती। बहुत से लोग ये संदेह करते हैं कि क्या उनकी दशा कभी सुधर पायेगी। थकावट, उत्साह की कमी, कमज़ोर याददाश्त, निर्णय लेने में कठिनाई, चिडचिडापन और नींद की तकलीफ ये इसके प्रमुख लक्षण हैं। लोग ऐसा महसूस करते हैं कि जीवन आनंददायक नहीं है।
नशे की आदत
उद्दिग्नता से पीड़ित व्यक्ति अपनी उद्दिग्नता कम करने के लिए शराब का सहारा ले सकता है। यह बहुत ही खतरनाक है। क्योंकि शराब का नशा थोड़ी देर तो राहत दिला सकता है। परन्तु नशा उतरते ही फिर उद्दिग्नता बढ़ जाती है। इससे शराब कि आदत लग सकती है। अब दो समस्याएं हो जाती हैं, एक तो उद्दिग्नता और दूसरी शराब की आदत।
इसके अलावा अन्य नशीले पदार्थों का भी सेवन उद्दिग्नता से पीड़ित व्यक्ति कभी कभी करते हैं।
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